5 Simple Statements About Subconscious Mind Power Explained




बादशाह ने पूछा, "क्या ढूंढ़ने निकले हैं?"

चोबदारों को पानी की प्रशंसा सुनकर हंसी आने लगी। लेकिन उन्होंने प्राणों की तरह मशक को उठा लिया, क्योंकि बुद्धिमान बादशाह के सदगुण सभी राज-कर्मचारियों में आ गये थे।

साधु बोला, "मैं इस विपत्ति का कारण जानता हूं और मुझे अपने पापों का ज्ञान है। मैंने बेईमानी से अपना मान घटाया और मेरी ही प्रतिज्ञा ने मुझे इसकी कचहरी में धकेल दिया। मैंने जान-बूझकर प्रतिज्ञा भंग की। इसलिए इसकी सजा में हाथ पर आफत आयी। हमारा हाथ हमारा पांव, हमारा शरीर तथा प्राण मित्र की आज्ञा पर निछावर हो जाये तो बड़े सौभाग्य की बात है। तुझसे कोई शिकायत नहीं, क्योंकि तुझे इसका पता नहीं था।"

मांझी को बड़ा क्रोध आया। लेकिन उस समय वह कुछ नहीं बोला। दैवयोग से वायु के प्रचंड झोंकों ने नाव को भंवर में डाल दिया।

चारों की यह बात सुनकर सब दरबारी अचंभे में रह गये। इतने में बादशाह ने चोरों से फिर पूछा, "अच्छा, अब तुम क्या चाहते हो?"

आन्तरिक भावों को देखते हैं। ऐ मूसा, बुद्धिमान मनुष्यों की प्रार्थनाएं और हैं और दिलजलों की इबादत दूसरी है। इनका ढंग ही निराला है।"

मालिक मुर्गे की भविष्यवाणी को कान लगाकर सुन रहा था। दौड़ा-दौड़ा हजरत मूसा के दरवाजे पर पहुंचा और माथा टेककर फरियाद करने लगा, "ऐ खुदा के नायब, मुझ पर दया करो।"

हजरत मुहम्मद के एक अनुयायी बीमार पड़े और सूखकर कांटा हो गये। वे उसकी बीमारी का हाल पूछने के लिए गये। अनुयायी हजरत के दर्शनों से ऐसे संभले कि मानो खुदा ने उसी समय नया जीवन दे दिया हो। कहने लगे, "इस बीमारी ने मेरा भाग ऐसा चमकाया कि दिन निकलते ही यह बादशाह मेरे घर आया। यह बीमारी और बुखार कैसा भाग्यवान है! यह पीड़ा और अनिद्रा कैसी शुभ है!"

पुरुष ने जवाब दिया, "यह सब तेरे रूप का जादू है। तेरे हाव-भावो ने तीर बरसाये हैं। क्या कहूं, तेरे सौन्दर्य ने मेरे हृदय को छीन लिया है। और जब अपने ऊपर तेरा अधिकार होते देखा है तो मुझे भी यह साहस हो गया कि अपनी रक्षा के लिए आगे बढ़कर वार करना चाहिए। अब तो मैं तेरा ही इच्छुक हूं। जबतक तुझे नहीं पा लूंगा, शान्ति नहीं मि सकती।"

ऐ बीमार चींटी, तेरी यह सामर्थ्य कहां कि खुदा तुझपर इतना बड़ा पहाड़ रक्खे?"

गुलाम ने जवाब दिया, "यह बड़ा सच्चा आदमी here है। इससे ज्यादा भला आदमी मैंने कोई नहीं देखा। यह स्वभाव से ही सत्यवादी है। इसलिए इसने जो मेरे संबंध में कहा है, यदि ऐसा ही मैं इसके बारे में कहूं तो झूठा दोष लगाना होगा। मैं इस भले आदमी की बुराई नहीं करुंगा। इससे तो यही अच्छा है कि अपने को दोषी मान लूं। बादशाह सलामत!

बादशाह का नियम था कि रात को भेष बदलकर गज़नी की गलियों में घूमा करता था। एक रात उसे कुछ आदमी छिपछिप कर चलते दिखई दिये। वह भी उनकी तरफ बढ़ा। चोरों ने उसे देखा तो वे ठहर गये और उससे पूछने लगे, "भाई, तुम कौन हो? और रात के समय किसलिए घूम रहे हो?" बादशाह ने कहा, "मैं भी तुम्हारा भाई हूं और आजीविका की तलशा में निकला हूं।" चोर बड़े प्रसन्न हुए और कहने लगे, "तूने बड़ा अच्छा किया, जो हमारे साथ आ मिला। जितने आदमी हों, उतनी ही अधिक सफलता मिलती है। चलो, किसी साहूकार के घर चोरी करें।" जब वे लोग चलने लगे तो उनमें से एक ने कहा, "पहले यह निश्चय होना चाहिए कि कौन आदमी किस काम को अच्छी तरह कर सकता है, जिससे हम एक-दूसरे के गुणों को जान जायं जो ज्यादा हुनरामन्द हो उसे नेता बनायें।"

मच्छर ने कहा, "बेशक, आपका कथन सत्य है, पर हमारे ऊपर कृपा-दृष्टि रखना भी तो श्रीमान ही का काम है। दया कीजिए और दुष्ट वायु के अत्याचारों से हमारी जाति को बचाइए।"

शेख जवाब देता खुदा का शुक्र है खच्चर तो मजबूत है। मगर वह खच्चर जिसने रात भर लाहौल खाई हो (अर्थात् चारा न मिलने के कारण रातभर 'दूर ही शैतान' की रट लगाता रहा), सिवा इस ढंग के रास्ता तय नहीं कर सकता और उसकी यह हरकत मुनासिब मालूम होती है, क्योंकि जब उसका चारा लाहौल था तो रात-भर इसने तसबीह (माला) फेरी अब दिन-भर सिज्दे करेगा (अर्थात् गिर-गिर पड़ेगा)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *